सोमवार, 7 मार्च 2016

वक्त.....

वक्त.....

बड़ा कम वक्त है दुनिया में, चल दूर कहीं वक्त की खेती करते हैं।
एक और जिंदगी कर्ज में लेते हैं,  अगला बचपन गिरवी रखकर।
एक एक पौधा रोपेंगे हर पल का, सांसों से सीचेंगे रोजाना।
                             ख्वाबों की बंजर जमीन पर, सपनों का हल चलाते हैं।                                   बड़ा कम वक्त है दुनिया में, चल दूर कहीं वक्त की खेती करते हैं।

दीपक यादव

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