ये कैसी घर वापसी?
आज कल घर वापसी का केस बड़ा जोर पकड़े हुए है. ये लोग किसकी घर वापसी की बात कर रहे हैं कुछ समझ में नहीं आ रहा है. मुझे लगता है जो लोग धर्म का ठेका लेकर गली गली घूम रहे हैं उनको अभी और परिपक्व होने की जरूरत है. सामाजिक मंच पर किसी का नाम लेना ठीक नहीं होगा. लेकिन मेरे परम आदरणीय धर्माचार्यों जरा एक बात बताईये. जबर्दस्ती या लालच देकर किसी का धर्म बदल के आप कौन सा तीर मार लेंगे. शायद आप को पता होगा अगर नहीं तो ध्यान से सुनिए. जाने या अनजाने में ये सारी दुनिया मान तो सनातन को ही रही है बस तरीका बदल गया है. और इस बदलाव के लिए जिम्मेदार कोई और नहीं हम सनातनी ही हैं. इस बात को ईमानदारी से स्वीकार करिए. आखिर वो कौन लोग हैं जो सनातन को छोड़ अन्य धर्मों का दामन थाम रहे हैं. एेसे कौन से कारण हैं जिन्होने चंद लोगों को सनातन से दूर कर दिया. ऐसे चंद लोगों की संख्या आए दिन बड़ ही रही है और कारण साफ है बराबरी का दर्जा. जो लोग अपने ही लोगों को दलित,अछूत मानकर उनका शोषण करते हैं कौन रहना चाहेगा उनके साथ. आज भी जहां लोगों को भगवान के नाम पर डराया जाता हो कौन वहां डर डर के जीना चाहेगा. भगवान के नाम पर झूठे ढोंग करके कब तक भोले भाले लोगों को डराया जाएगा. ऐसे ही दबे कुचले लोग आपका घर छोड़ कर या कहिए आपके घर से भाग कर जा रहे हैं. जिसे आप लोगों ने एक घर का नाम दिया है उस घर में संपूर्ण सृष्टी के समाने की जगह है. मेरे प्यारे हिंदुत्व के रखवालों अगर कुछ कर सकते हो तो सच्चाई से सनातन को फॉलो करो. जाति में बंटे अपने लोगों को सम्मान दो उनको आभास कराना बंद करो की उनकी जाति कौन सी है. बुद्ध,मसीह,मुहम्मद जैसे महान लोगों को अगर किसी अलग धर्म का प्रचार करना पड़ा तो सिर्फ हमारी कुरीतियों की वजह से जो अब भी कम नहीं हो पाई हैं. अगर कर सकते हो तो इन कुरीतियों को खत्म करो. सबरी और राम की गाथा पढ़ो, कृष्ण और सुदामा से सीखो, सत्यवादी राजा हरीश चंद्र का अनुसरण करो और अगर नहीं कर सकते तो कृपया अपना मुंह बंद रखो. सनातन का उपहास उनके द्वारा सबसे ज्यादा होता है जो बिना जाने समझे उसका ढ़िढ़ोरा पीटते फिरते हैं...
दीपक यादव
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