कुछ कहना है तुमसे…
लेकिन शब्दों की सीमा से नहीं
अनहद भाव से
आवाज़ के शोर से दूर
गहरे मौन से
बोलती रहें आंखें
सुनती रहे आँखें
बिना वक्त की फ़िक्र
बिना फ़ासलों का ज़िक्र
तुम सुनना बस…
शून्यता में उतर कर
साँसों में बहते जीवन के संचार को
रंगों में बहते प्रेम के प्रवाह को
देर तक सुनना
फिर कहना कुछ…
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