भंवर...
किस्मत की जो किताब है वो गुम है कहीं
हिम्मत की कलम भी चल रही है रुक रुक कर
जिंदगी की क्लास अब हो रही है उबाऊ
मौत के इम्ताहांन को मैं पार कैसे पाऊं
जहां के इस स्कूल में मुझ जैसे हैं हजार
जो मौत से जीत कर जिंदगी से रहे हैं हार
खुद से लड़ रहे हैं ना जाने कौन सी जंग
जिसमें ना कोई जीत है और ना ही कोई हार...
दीपक यादव
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