गुरुवार, 25 जुलाई 2013

भंवर...






        भंवर...




किस्मत की जो किताब है वो गुम है कहीं
हिम्मत की कलम भी चल रही है रुक- रुक कर 

जिंदगी की क्लास अब हो रही है उबाऊ
मौत के इंम्तहान को मैं पार कैसे पाऊं

जहां के इस स्कूल में मुझसे हैं हजार
जो मौत से जीतकर जिंदगी से रहे हैं हार

खुद से लड़ रहे हैं ना जाने जंग कौन सी
जिसमें ना कोई जीत है और ना ही कोई हार...

                                              
                                                                     दीपक यादव

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