सोमवार, 24 जुलाई 2017

रेलवे का खाना कभी मत खाना।


अबे डॉक्टर ने कहा है रेलवे का खाना खाने को, जो कोहरान मचाए हो !
घर से पूड़ी सब्जी ले जाओ, उड़द की कचौड़ी ले जाओ, कुछ ना मिले पराठा-अचार ही समेट लेओ। थोड़ी अक्ल लगाओ, बिहारी भाईयों की तरह गठरीभर भूजा बांध लेओ। 

सफरभर चबा डालो प्याज मिरचा के साथ। हल्का और किफायती भी है।
ये जो रेडीमेड फूड खाने की आदत डाल लिए हो, सुधार लेओ इसी बहाने।
जहां साली चाय तक पेंट डाल के बनती हो, वहां के खाने से और क्या उम्मीद रख सकते हो। रेलवे की कैंटीन तो छोड़ो, स्टेशन के जो वेंडर हैं वही आज का माल तीन दिन तक बेचते हैं मिरचा मसाला डाल-डाल के।
पानी की बोतल पर लिखा है 15 रुपिया लेकिन बेचेंगे 20 में। चिप्स, नमकीन, बिस्किट, कोल्डड्रिंक सब MRP से महंगे बिकते हैं।

भईया ई सब कुछ और नहीं बस अव्वल दर्जे की हरामखोरी और कमीनापन है। इसके लिए जितना जिम्मेदार रेलवे का ठेकेदार है उससे कहीं ज्यादा जिम्मेदार हैं रेलवे के वो नौकर जिनका काम है खाने की गुणवत्ता देखना। इस पर मियां असफ अली से लेकर सदानंद गौड़ा तक कुछ ना कर पाए तो सुरेश प्रभु कौन खेत की मूली हैं। जो कर सकते हैं वो ठंडी गोली खाकर ड्यूटी बजा रहे हैं। उनको सब पता है CAG-VAG आती रहती हैं, कुछ दिन हो हल्ला होता है, फिर सब अपनी-अपनी मौज में लग जाते हैं।
सड़क पर जब गड्ढा दिखता है तो का करते हो?
सरकार को गरियाते हुए गड्ढा बचा कर निकल जाते हो ना। बस यही यहां भी करो शरीर अपना है।

रेलवे तब सुधरेगा जब उसके खाने की सेल घटेगी, ठेकेदार को नुकसान होगा, अधिकारियों को कमीशन नहीं पहुंचेगा, ठेकेदार और अधिकारियों में पैसे को लेकर झगड़े होंगे। ये सब तब होगा जब आप बदलेंगे। पहले भी लोग लंबे सफर करते थे। आज तो सुपर फास्ट ट्रेन हैं। पहले बैल गाड़ी से चलते थे, पैदल चलते थे कोसों तक, तब कौन सी कैटरिंग व्यवस्था थी। अब तो जगह-जगह खाने के होटल हैं, ढाबे हैं। पहले इतनी सुविधाएं नहीं थीं।
तो क्या पहले लोग भूखे मरते थे?

बिल्कुल नहीं, पहले के लोग हमसे उम्दा खाना खाते थे, हमसे ज्यादा स्वस्थ रहते थे। अभी भी वो खजाना है घर के बुजुर्गों के पास। जो शायद अगले 10-20 साल बाद खत्म हो जाएगा। अपने दादा- दादी, नाना-नानी, मुहल्ले के बुजुर्गों के पास बैठो। उनसे बात करो उनसे पूछो, ये लोग सौ तरह की डिशेज बता देंगे जो बेहद सस्ती, फायदेमंद और लंबी चलने वाली हैं।

हां वो अलग बात है आपकी-हमारी बॉडी ही सड़ा खाने की आदी हो चुकी है।

अच्छा सुनो, डॉमिनोज़ के फ्री कूपन चाहिए....?

जय राम जी की
दीपक यादव

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